इस नारे को तो आखिर सबने सुना ही होगा। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। लेकिन जितना दमदार यह नारा है उतना क्या इसमें दम है? जब बेटियां जब पढ़ लिख जाती है। अपने सारे अधिकारों के लिए वह जागरूक हो जाती है। महिलाएं मर्द के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नौकरी करती है। लेकिन ऐसा कई जगह देखने को मिला है कि सिर्फ उसके जेंडर की वजह से उसे पुरुष सहकर्मी के मुकाबले कम सैलरी मिलती है।
एक रिसर्च के दौरान यह सामने आया है कि एक जैसी पढाई और अनुभव के बावजूद वर्कप्लेस पर महिलाओं के साथ भेदभाव होता है।सूत्रों के मुताबिक यह पता लगा है कि ज्यादातर महिलाओं की सैलरी पुरुष सहकर्मियों से 19 फीसदी कम होती है। वूमेंस डे के उपलक्ष में एक सर्वे किया गया उसमे यह सामने आया कि 60 प्रतिशत महिलाओ के साथ वर्कप्लेस पर भेदभाव किया जाता है।
महिलाओ का वेतन कितना कम है?
सबसे पहले हम इंडस्ट्री की बात करते है तो वह भी वेतन में फर्क होता है। आईटी कंपनी में 26 % फर्क होता है वेतन में। मैन्युफैक्चरिंग में 24% फर्क पड़ता है।
सूत्रों के मुताबिक पता लगा है कि एक तिहाई महिलाओं ने कहा कि उन्हें टॉप मैनेजमेंट रोल के लिए बहुत मुश्किल से कंसीडर किया जाता है। 86 फीसदी महिलाओं का कहना था कि सेफ्टी फैक्टर नौकरी चुनते समय काफी मायने रखता है। सर्वे में आधी महिलाओं ने कहा कि वो नाइट शिफ्ट नहीं करना चाहतीं।
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