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कौन है सांता क्लॉज़? जाने पूरी कहानी!

यह बात तो सब जानते है कि क्रिसमस का नाम सुनते ही बच्चो के मन में सफ़ेद और लम्बी दाढ़ी वाले लाल रंग के कपडे में सिर पर टोपी पहने हुए।  उसी के साथ पीठ पर बड़ा सा खिलोने का झोला लिए एक बुड्ढे और क्यूट इंसान यानी की सांता क्लॉज़ की तस्वीर आँखों के सामने आ जाती है। इस दिन का सबसे ज्यादा इंतजार बच्चो को रहता है क्योकि सांता क्लॉज़ बच्चो को बहुत सारे खिलौने और टॉफिया दे कर जाता है।ईसाई धरम में इसकी बहुत मान्यता है।

और ईसाई समुदाय में कहा जाता है कि सांता क्लॉज़ बच्चों के लिए सीधे के सीधे स्वर्ग से धरती पर उपहार लेकर आते है। और बच्चो को उपहार देकर वापस लौट जाते है।  उपहार में वह बच्चो को टॉफिया, चॉकलेट, फल, खिलौने और कई चीज़े लेकर आते है।

बच्चे सांता क्लॉज़ को प्यार से क्रिसमस फादर भी कहते है।क्रिसमस के मौके पर कई लोग सांता क्लॉज़ की वेशभूषा में तैयार होकर बच्चो को उपहार देते है। सांता के लिए ना केवल ईसाई समुदाय बल्कि, दुनियाभर में अन्य समुदायों के बच्चों का आकर्षण भी पिछले कुछ समय में काफी बढ़ा है।

हर साल सांता क्लॉज़ 25 दिसंबर को ही क्यों आते है उपहार देने ?

ऐसी मान्यता है कि सांता क्लॉज़ चौथी शताब्दी में मायरा के निकट एक शहर है जिसको लोग तुर्की के नाम से जानते है।  उसी में जन्मे सांता निकोलस का ही रूप है। कहा जाता है कि संत निकोलस के पिता एक बहुत ही बड़े व्यापारी थे।  उन्होंने निकोलस को अच्छे संस्कार देते हुए दुसरो के प्रति सदा दया भाव रखने को और जरुरतमंदो की सहायता करने को प्रेरित किया।

इन बातो का असर निकोलस पर बहुत हुआ और वो जरुरत मंदो की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।  और इसलिए बच्चो को सांता से ख़ास लगाव हो गया।  माना जाता है कि अपनी ढेर सारी दौलत में से बच्चों के लिए वह ढेर सारे खिलौने खरीदते और खिड़कियों से उनके घरों में डाल देते थे।

कहा जाता है कि संत निकोलस की याद में कुछ जगह पर हर वर्ष 6 दिसंबर को संत निकोलस दिवस मनाया जाता है। ईसाई धरम में ऐसी मान्यता है कि इस दिन सांता गरीब लड़कियों की शादी के लिए धन एवं तोहफे दिया करते थे। लेकिन कहा जाता है की वह 25  दिसंबर को बच्चो को ही तोहफे बाटते थे।

निकोलस की लोकप्रियता बच्चो एवं बड़ो दोनों में थी।  हम सभी जानते  है कि अगर किसी की लोकप्रियता ज्यादा बढ़ जाती है तो लोग उसे जीने नहीं देते है। इसलिए निकोलस की लोकप्रियता से जल कर कुछ लोगो ने उनकी हत्या 6 दिसम्बर को कर दी थी। इसलिए 6 दिसंबर को संत निकोलस की याद में संत निकोलस दिवस भी मनाया जाता है।

सांता क्लोज के बारे में दूसरी कहानी ?

कहा जाता है सांता क्लॉज़ के बारे में कई कहानिया प्रचलित है।  एक कथा कुछ इस प्रकार है कि कहा जाता है की एक बार निकोलस को मायरा के एक इंसान के बारे में ऐसी जानकारी मिली थी कि एक व्यक्ति बहुत धनवान है लेकिन उसके व्यापार में उसको बहुत भयंकर घाटा हुआ जिस वजह से वो कंगाल हो गया था। कहा जाता है उस व्यक्ति की चार बेटिया थी। लेकिन अब उसके पास उनकी शादी के लिए कुछ नहीं बचा था।

उनके खाने तक के लाले पड़ गए थे।जब उस व्यक्ति ने अपनी इतनी बुरी हालत देखी तो सोचा की कैसे में अपनी इन लड़कियों का विवाह करुगा और घर में पालन पोषण कैसे करुगा। तो उसने ऐसा फैसला किया कि वह इनमे से एक लड़की को बेच देगा और जो पैसे उसको बेचने से मिलेंगे उससे अपने परिवार का पालन पोषण करेगा।  इसी के साथ बाकी बेटियों का विवाह कर देगा।

उसने अपनी एक बेटी को बेचने का विचार बना लिया और सो गया। लेकिन उसी रात को संत निकोलस उसके घर में पहुंचे और चुपके से खिड़की में से सोने के सिक्को से भरा एक बैग उसके घर में डाल कर चले गए थे।दूसरे दिन जब सुबह उस आदमी की आँख खुली तो वह सोने  के सिक्को से भरा बैग खिड़की के पास पड़ा देख के आश्चर्य चकित रह गया।

वो सोच में पड़ गया कि यह बैग कहा से आया? उसने चारो और देखा लेकिन उसे कोई नजर नहीं आया। उसने ईश्वर को बहुत धन्यवाद् किया। इसी के साथ उसने एक एक करके अपनी चारो बेटियों का विवाह बहुत ही धूम धाम से कर दिया। कुछ समय बाद उसे पता लगा की संत निकोलस ही उसकी बेटियों की शादी के लिए उसके घर छोड़ कर गए थे।इसी कारण से निकोलस बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हो गए।

सांता क्लॉज़ क्यों कहते है निकोलस को ?

कहा जाता चोर, लुटेरे, डाकू और आम आदमी सभी उन्हें चाहते थे।  लोग उन्हें सम्मान के साथ क्लॉज़ कहते थे। कहा जाता है कि कैथोलिक चर्च में उन्हें एक संत का ओहदा दिया गया था। इसलिए उन्हें संत क्लॉज़ कहने लगे। यह नाम कुछ समय बाद में सेंटा क्लोज बन गया और जो की वर्तमान तक आते आते सांता क्लोज के नाम से प्रसिद्ध हो गया।निकोलस के देहांत के बाद उनकी याद में एशिया का सबसे प्राचीन चर्च बनवाया गया, जो आज भी ‘सेंट निकोलस चर्च’ के नाम से विख्यात है।

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