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मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का क्या महत्व है?

मकर सक्रांति के त्योहार को हिन्दू धर्म में सबसे प्रमुख माना जाता है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे सक्रांति कहते है। यह त्योहार जनवरी महीने के चौदहवें दिन मनाया जाता है।इस तरह वर्ष में कुल मिलाकर 12 सक्रांति होती है। क्योकि सूर्य हर महीने में राशि परिवर्तन करता है। लेकिन कहा जाता है इनमे से चार सक्रांति महत्वपूर्ण होती है। जिनमें मेष, कर्क, तुला, मकर संक्रांति शामिल हैं।

मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी?

कहा जाता है कि मकर सक्रांति के दिन अलग अलग पकवानो के साथ खिचड़ी बनाने और खाने का ख़ास महत्व होता है। यही वजह है जिसके चलते इसको कई जगहों पर खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि चावल को चन्द्रमा का प्रतिक माना जाता है।

एवं उरद  की दाल को शनि का प्रतिक माना जाता है। हरी सब्जिया बुद्ध से सम्बन्ध रखती है। ऐसी मान्यता है कि खिचड़ी की गर्मी मंगल और सूर्य से जुडी है। इसलिए मकर सक्रांति के  दिन खिचड़ी खाने से राशि में ग्रहो की स्थिति मजबूत होती है। एक मान्यता यह भी है कि इस दिन नए अन्न की खिचड़ी खाने से पूरा साल में आरोग्य मिलता है।

 

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