दुनिया भी चकित हो गयी इनकी तरकीब से
आज हम बात करने जा रहा है एक ऐसे किसान की जिसने यह साबित कर दिया की “मेरे देश की धरती सोना उगले। जी हाँ, एक छोटे से गाँव के एक सामान्य किसान ने अपने खेत जोतने के तरिके से सबको चौकना कर दिया।
किसान को धरती का बेट कहा जाता है लेकिन हमारे देश में किसानो की हालत भारत की गुलामी के बाद दयनीय हो गयी है। कर और लगामो के कारण उनकी स्थिति बत-से-बत्तर होती चली गयी।
इसका उदाहरण आप हाल में हुए मध्य प्रदेश समेत देश के कई अन्य राज्यों में किसानों ने अपनी बदहाली के लिए अन्दोंलन किया | और कर्ज माफ़ करने की मांग करी ‘में देख सकते |
लेकिन दूसरी और सोलन एक किसान भाई ने अपनी ताकत, मेहनत और कार्य कुशलता से अपनी गरीबी मिटाने की ठानी। और आखिरकार उन्होंने यह साबित कर दिया की किसी के आगे हाथ फैलाने से अच्छा मेहनत और लग्न से काम कर गरीबी दूर करना है।
सोलन जिले के मतीबल गांव के प्रगतिशील किसान नंद किशोर शर्मा ने, जिन्होंने खेतीबाड़ी से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि और लोगों को मेहनत और कार्य के प्रति प्रेरित किया ।
नंद किशोर जैसे प्रगतिशील सोच वाले किसान ने आज देशभर में सोलन को सिटी ऑफ रेड गोल्ड (टमाटर) का ताज दिलवाया। हिमाचल प्रदेश एक पिछड़े क्षेत्र में रहने वाले , संसाधनों की कमी होने के बावजूद भी नंद किशोर जैसे महान किसान ने हर नहीं मानी। दो साल पहले शिमला मिर्च और टमाटर का उत्पादन शुरू किया। सिंचाई की प्रयाप्त सुबिधा उपलब्ध नहीं होने के बावजूद जमीन के छोटे से हिस्से में पॉलीहाउस बनाकर उन्होंने प्रयोग किया और सफलता पाई।
उनके प्रयोग की सफलता ने गांव के ने अन्य लोगो के लिए एक वरदान साबित हुयी है। अब गांव में कई लोग शिमला मिर्च व टमाटर की खेती करने लगे हैं। सब्जी उत्पादन के साथ वह लोगों से उसे लगाने के तरीके और अन्य जानकारी भी शेयर करते हैं जिससे पैदावार अच्छी होती है। जिससे ग्रामीण अच्छी फसल पा सकें। नंद किशोर फसल की ग्रेडिंग और पैकिंग तो खुद करते ही हैं, आसपास के गांवों के लोगों की इस काम में मदद भी करते हैं।
आजकल कई लोगों के लिए मोबाइल फोन व इंटरनेट मनोरंजन का साधन है, लेकिन इस सुविधा के सदुपयोग से नंदकिशोर ने अपने जीवन का सबसे बड़ा मुकाम हासिल किया है। टमाटर व शिमला मिर्च के उत्पादन के बाद किसानों व बागवानों को इसकी बिक्री की चिंता होती है। इंटरनेट के प्रयोग से वह दिल्ली, मुंबई समेत देश की विभिन्न मंडियों के दामों का आकलन करते हैं। उसके बाद वहां फसल बेचते हैं, जहां दाम अच्छे मिलें। उनकी देखादेखी गांव के अन्य लोग भी इंटरनेट की अहमियत समझने लगे हैं। दूसरी ही और नंदकिशोर ने अप्रत्यक्ष रूप से किसान को डिजिटल इंडिया की और प्रेरित करने में भागीदारी निभाई है।
जमीन का मात्र ढाई बीघा हिस्सा ही उन्होंने डॉ. वाइएस परमार स्वरोजगार योजना के लिए दिया है। और इस जमीन से वह प्रति माह एक से डेढ़ लाख रुपये कमाने में सक्षम हो पाए हैं। इस स्कीम को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग से उन्हें 85 फीसद अनुदान मिला। नंद किशोर ने मई, 2015 में पॉलीहाउस बनाया और उसी वर्ष दिसंबर में शिमला मिर्च का नौ लाख रुपये का कारोबार किया।
नंद किशोर अपनी और पड़ोसियों की छतों से गिरने वाले बारिश के पानी को स्टोरेज टैंक में रखते हैं ताकि पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़े और जिससे कई महीनों तक पानी का समाधान हो जाता है। पानी का पॉलीहाउस में बाहर की अपेक्षा 80 फीसद कम इस्तेमाल होता है।
कृषि विशेषज्ञ एसएमएस डॉ. धर्मपाल गौतम ने बताया कि नंद किशोर ने मई 2015 में आत्मा प्रोजेक्ट के तहत पॉलीहाउस बनाया था। उनके प्रोजेक्ट का दौरा किया था जोकि एक नायाब पहल है। कृषि विभाग नंद किशोर को सम्मानित करने जा रहा है।
source : dolphinpost
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