दिवाली के आने के लिए लोग बहुत खुशिया मना रहे थे और अब उसी के जाने के बाद में वायु प्रदूषण में हुए इजाफे की वजह से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। एक सर्वे से मालुम हुआ हैं जो लोग अस्पताल पहुंचे है उनमे मरीजों में अधिकतर सांस की तकलीफ और आँखों की समस्याओं से घिरे हुए लोग शामिल है। जैसा की हम जानते है हवा में गति में कमी के कारण दिवाली के बाद में दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत ही तेजी से बिगड़ गया है।
इस बात पर सीनियर कंसलटेंट का कहना है कि दिवाली के बाद दिल्ली में स्मॉग खासकर की बच्चो के लिए बहुत ही सारी चिकित्सा समस्या लेकर आता है। अधिकतर अस्पतालों में सांस और आँखों की समस्याओं वाले लोगो की संख्या में वृद्धि देखि गई है।
एक डॉक्टर ने कहा कि उन्होंने ओपीडी में करीबन 20 -22 फीसदी तक की वृद्धि देखि है जिसकी वजह से मरीजों को आँखों और गले में जलन, शुष्क त्वचा, त्वचा में एलर्जी, पुरानी खासी और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षणों का सामना करना पड रहा है। उन्होंने यह सलाह दी है कि रोगियों, बुजुर्गों और बच्चों को घर के अंदर रहने की कोशिश करनी चाहिए।
जब भी लोगो को आँखों में लालिमा, सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी और लगातार सिरदर्द जैसे लक्षणों का अनुभव हो तो उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए।
डॉक्टर्स का कहना है कि दिवाली के बाद में रोजाना के आधार पर 15- 16 रोगी आ रहे है। जिसमे से करीबन तीन चौथाई मामले अस्थमा और पुरानी फेफड़े की बिमारी से सम्बंधित है। कहा जा रहा है कि दिवाली के बाद में पहले दिन आने वाले मामले निश्चित रूप से पिछले वर्षो की तुलना में कम थे। लेकिन सामान्य ओपीडी के मुकाबले 25 फीसदी अधिक रहे।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदुषण के मौजुदा उच्च स्तर में बढ़ने से दक्षिण एशियाई बच्चे का जीवनकाल दो साल और औसतन छह महीने तक के लिए कम हो सकता है। इसके अलावा वायु प्रदूषण गर्भावस्था के दौरान विशेष रूप से हानिकारक है।
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