रिमोट और मोबाइल ने लोगो को इस कदर आलसी बना दिया है कि वो कुछ काम करना ही पसंद नहीं करते। आज कल टेक्नोलॉजी इस कदर आगे बढ़ चुकी है कि किसी भी काम को करने के लिए घर से बाहर जाने की जरुरत नहीं है। साथ ही सोफे तक से उठने की जरुरत नहीं पड़ती है। तो जब घर पर बैठे बैठे सारा काम हो जायेगा तो ऐसे भी कौन उसी काम को करने के लिए गर्मी में दो तीन घंटे लगा कर आएगा। लेकिन ऐसा करने से हम आलसी होते है। और आलस हमे बीमारियों के घर लेकर जाता है। ऐसा करने से हम पहले से ज्यादा सुस्त हो जाते है। जिससे कई बीमारिया हमारे शरीर को जकड लेती है।
आज कल लोगो की लाइफस्टाइल बहुत ही अलग प्रकार की हो गई है। आज कल सबकी दिनचार्य कुछ इस प्रकार हो गई है ऑफिस में लम्बे समय तक लगातार बैठे रहना, घर आकर केवल मोबाइल में लगे रहना, कुछ काम हो तो उसे फ़ोन की मदद से पूरा कर लेना , देर रात तक लैपटॉप पर काम करके सोना और सुबह फिर जल्दी उठना। आज कल यही रूटीन हो गया है।
इतने बिजी दिनचर्या के चलते उनके पास अपने लिए समय नहीं रहता। तो जब सेहत की बात आती है तो भला कहा से समय निकालेंगे। ऐसे में जिम और एक्सरसाइज तो उनकी रूटीन की लिस्ट में शामिल ही नहीं होती। ऐसे में शोधकर्ताओं ने आपके बिजी शेड्यूल को ध्यान में रखते हुए एक रिसर्च की जिससे की आप अपने आप को भी पूरा टाइम दे पाएंगे।
रिसर्च के माध्यम से पता लगा है की एक मिनट की तीव्र कसरत भी 45 मिनट की कसरत के जितनी ही फायदेमंद होती है। इस रिसर्च के बाद तो यह भी कहना बेकार है कि टाइम नहीं मिलता। वैज्ञानिको ने रिसर्च के दौरान यह पता लगाया है कि स्पिरिट इंटरवल ट्रेनिंग (एसआईटी) मॉडरेट इंटेंसिटी कंटीन्यूअस ट्रेनिंग (एमआईएसटी) की तुलना में कितना प्रभावी है जिसकी सिफारिश सार्वजनिक स्वास्थ्य के दिशा निर्देशों में की जाती है।
असरदार कसरत जो करे आपको सुस्ती से मीलो दूर
- इसके तहत कुल सताइस सुस्त पुरुषों की भर्ती की गई और उन्हें बारह हफ्तों के लिए गहन और पारंपरिक दोनों तरीकों के कसरत करने को दिए गए, साथ ही एक समूह को बिल्कुल भी कसरत नहीं करने को कहा गया।
- एसआईटी प्रोटोकॉल के तहत बीस सेकेंड तक ऑल आउट साइकिल स्प्रिंट कसरत करना था जो सबसे अधिक प्रभावी पाया गया।
- इस दस मिनट के वर्कआउट में दो मिनट का वार्म अप और तीन मिनट का कूल डाउन भी शामिल था। और तीक्ष्ण कसरतों के बीच में दो मिनट की आसान साइकिलिंग भी शामिल है
- इस नए अध्ययन में इस समूह की तुलान दूसरे समूह से की गई, जिन्होंने पेंतालिस मिनट लगातार साइकिल चलाई साथ वार्मअप और कूलडाउन में सिट प्रोटोकॉल जितना ही समय लिया।
- ऑनलाइन जर्नल प्लोस वन में प्रकाशित इस शोध में कहा गया कि बारह हफ्तों के प्रशिक्षण के बाद दोनों समूहों का परिणाम उल्लेखनीय रूप से एक जैसा था।
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