यह बात एक मीडिया रिपोर्ट के जरिये साफ़ हो गयी है कि फेसबुक अकाउंट किराये पर दे रहे है और इसी के साथ कैश और फ्री लैपटॉप जैसी सुविधाए ले रहे है। लेकिन इस बात सी सब वाकिफ है कि प्राइवेसी और अकाउंट की सिक्योरिटी को खतरा हो सकता है। इससे लोगो के अकाउंट ब्लॉक किये जा सकते है। इंटरनेट मार्केटिंग करने वाली कुछ एजेंसियां इस काम में शामिल बताई जाती।
कहा जा रहा है कि एक न्यूज़ साइट के जरिये यह बात जाहिर हुई है कि जिन एजेंसीज को फेसबुक ने विज्ञापन चलाने से बैन कर दिया था। वे आम लोगो को पैसे देकर किराये पर अकाउंट एक्सेस ले रहे है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस उदाहरण से ये साबित होता है कि फेसबुक के ऐड प्लेटफॉर्म सिस्टम का किस तरह से दुरुपयोग किया जा सकता है।
रेंटेड अकाउंट से विज्ञापन चलाए जाते है
कहा जा रहा है कि किराये पर लिए अकाउंट से तुरंत विज्ञापन चलाये जाते है। इसकी यह वजह है कि जब फेसबुक उन ऐड और अकाउंट को बंद कर देता है। तब इसी तरह से दूसरे अकाउंट से नए ऐड चलाये जाते है। जब कोई व्यक्ति फेसबुक अकाउंट किराये पर लेता है तो उससे एक पेज बनाता है और उसके बाद में विज्ञापन शुरू कर देता है।
कहा जा रहा है कि यूजर्स को अकाउंट किराये पर देने के बदले तक़रीबन 35 हज़ार रूपए प्रति महीने तक दिए जाने का दावा किया जा रहा है। ऐड लॉन्ड्रिंग करने वाली एजेंसियां ऐसे लोगों को लैपटॉप तक भेजती है। लैपटॉप में पहले से एक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होता है जिसके जरिए यूजर के अकाउंट के माध्यम से ऐड शुरू कर दिए जाते हैं।
फेसबुक को इस मामले की जानकारी है। कंपनी पिछले करीब 2 सालों से अकाउंट रेंट पर देने के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। ऐसे अकाउंट का पता चलने पर फेसबुक उसे बंद कर देती है।
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