हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ काम करते समय मौली यानि लाल रंग का धागा पहनने को बहुत महत्व दिया गया है. पूजा पाठ, शादी, नए घर प्रवेश और बहुत से समारोह होते है जिसमे मौली धागे का इस्तेमाल किया जाता है, यही नहीं बहुत से लोग अपनी कलाई पर कलावा भी बंधवाते है. इसके अलावा कुछ लोग इसे कमर और गले में भी बांधते है.
ज्योतिष शास्त्रों में मौली धागा बांधने का विशेष महत्व बताया गया है, जिसके अनुसार मौली बांधने से त्रिदेवो और तीनो महादेवियो की कृपा प्राप्त होती है.
महादेविया :- शास्त्रों में तीन देवियो की कृपा को महत्व दिया गया है. तीनो महादेवियो की कृपा दृष्टि जिस किसी पर होती है वो अपने जीवन काल में सुखद अनुभव करता है, उसको कभी भी किसी भी प्रकार की विपदा का सामना नहीं करना पड़ता है.
पहली महालक्ष्मी, जिनकी कृपा से धन, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
दूसरी माँ सरस्वती, जिनकी कृपा से विद्या-बुद्धि , शालीन और निर्मल स्वभाव की प्राप्ति होती है.
तीसरी है महाकाली, इनकी कृपा से मनुष्य बल, शक्ति, दुश्मन और बुराई से लड़ने का साहस प्राप्त करता है.
मौली को धारण करने के भी कुछ अलग अलग महत्व और धार्मिक पहलु मौजूद है. पुरुष और अविवाहित लड़किया मौली को दाएं हाथ में और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में मौली या कलावा बांधा जाता है।
आपने आपके घर पर या किसी समारोह में देखा होगा मौली धागा सिर्फ लोगो को ही नहीं बांधा जाता है बल्कि निर्जीव वस्तुओ को भी बांधा जाता है जैसे की वाहन, बही-खाता, मेन गेट, चाबी के छल्ले और तिजोरी आदि पर, मौली धागा बांधने के पीछे ना ही सिर्फ धार्मिक करना है बल्कि विज्ञान के भी बहुत से रहस्य है. विज्ञान के मुताबिक इसे बांधने से वात, पित्त एवं कफ के बीच संतुलन बना रहता है| कलाई पर मौलि बांधने से उच्च रक्त चाप, मधुमेह, हार्ट अटैक, एवं लकवा जैसे रोगों से बचाव भी होता है|
शास्त्रों के अनुसार कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. इसको कलाई पर बांधने से जीवन में आने वाले संकट से रक्षा होती है।
शास्त्रों में मौली धागे को पवित्र माना गया है। यह धागा काफी खास है, इसका रंग एवं एक-एक धागा हमें शक्ति एवं समृद्धि प्रदान करता है। मौली से बनाई वस्तु घर में रखने से बरक्कत होती है और घर में खुशिया और समृद्धि आती है.
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