पाकिस्तान में लाहौर से 280 किमी दूर पहाड़ी पर एक मंदिर बना हुआ है। वह मंदिर भगवान शिव के कटासराज का है। लेकिन आज शिवरात्रि का पर्व है और उस मंदिर में आज कोई भी भारत का श्रद्धालु नहीं होगा। इसकी वजह जाहिर सी बात है कि हर कोई जानता होगा।
इसकी सीधी वजह यह है कि पुलवामा हमले के बाद दोनों देशो में तनाव बढ़ गया है। इसी वजह के चलते श्रद्धालुओं ने पाकिस्तान का वीजा नहीं लिया है। पुलवामा हमले से पहले ऐसा 1999 के कारगिल युद्ध और 2008 के मुंबई हमले के बाद हुआ था।सूत्रों के मुताबिक पता लगा है कि यह मंदिर हज़ार साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर को महाशिवरात्रि के लिए साफ़ किया गया है। कहा जा रहा है कि यह 150 फ़ीट लम्बा है और 90 फ़ीट चौड़ा।
इस पवित्र सरोवर का पानी शीशे की तरह साफ़ दिखाई दे रहा है।सूत्रों के मुताबिक पता लगा है कि कुछ समय पहले इसके पास लगी सीमेंट की फैक्ट्ररियाँ बोरवेल से पानी निकाल रही थी। जिसकी वजह जमीनी पानी का स्तर घटा और सरोवर सूखने की कगार पर था। उसके बाद में सिंध के हिन्दुओ की याचिका पर पकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने सरोवर को ठीक करने के आदेश दिए।
इसी के साथ में फैक्ट्ररियाँ पर दस करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया गया था।कहा जा रहा है कि शिवरात्रि के पर्व के लिए यहाँ जाने के लिए कम से कम 141 श्रद्धालुओं ने वीजा अप्लाई किया था। लेकिन पाकिस्तान की इतनी बुरी हरकत देख के वहां नहीं जाने का फैसला किया। एवं सिंध के कुछ हिन्दू परिवार वहा पर जलाभिषेक करेंगे। एवं इंडो पाक प्रोटोकॉल 1972 के अनुसार हर साल 200 भारतीय कटासराज जा सकते है।वह पर एक सरोवर भी है।
तो उसके लिए सबकी यह धारणा है कि जब माता सती की मृत्यु हुई तो शिवजी बहुत रोए थे। और उनके आंसुओ से एक नदी बन गई। उनके आंसुओ से दो सरोवर बन गए। एक तो था कटासराज जो की पाकिस्तान में है। और दूसरा पुष्कर जो की भारत में है। पौराणिक ग्रंथो के हिसाब से ऐसी भी मान्यता है कि पांडवो ने अपने वनवास का समय यहाँ कुछ समय बिताया था।
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