अस्थमा एक श्वसन तंत्र की बीमारी है जिसके कारण साँस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योकि श्वसन मार्ग में सूजन आ जाने के कारण वह संकुचित हो जाती है। इसी के कारण छोटी छोटी सांस लेनी पड़ती है और छाती में कसाव महसूस होता है। अस्थमा के अंदर सांस फूलने लगती है और बार बार खासी आती है। यह बीमारी ऐसा नहीं है की भुढ़ापे में होगी। अस्थमा किसी भी उम्र में और कभी भी हो सकती है।
अस्थमा की बीमारी को दो भागो में बाटा गया है vishisth और गैर विशिष्ट। जो विशिष्ट अस्थमा होता है उसमे सांस लेने की समस्या एलर्जी के कारण होता है। वही दूसरी ओर गैर विशिष्ट में एक्सरसाइज, मौसम के प्रभाव या आनुवंशिक प्रवत्ति के कारण होता है।
जैसा की हम सब जानते है की अस्थमा कभी भी ठीक नहीं हो सकता। लेकिन हम अस्थमा का कई प्रकार से ट्रीटमेंट कर सकते है। अस्थमा के लक्षणों पर कई प्रकार से नियंत्रण लाया जा सकता है। कुछ ऐसे उपाय है जिनके जरिये अस्थमा के मरीज बेहतर रह सकते है।
कैसे पहचाने की आप अस्थमा के मरीज हो?
जो अस्थमा के मरीज होते है उन्हें सांस लेने के लिए काफी ज़ोर लगाना पड़ता है। जब किसी मनुष्य के शरीर में पाए जाने वाले फेफड़ो की नालियों की छोटी छोटी तंतुओ में अकड़न युक्त संकुचन उत्त्पन होता है तो फेफड़े वायु की पूरी खुराक को पचा नहीं पाता है। ऐसे में मरीज पूरी सांस खींचे बिना ही सांस छोड़ देते है। इस अवस्था को दमा या श्वास का रोग कहा जाता है।
अस्थमा रोगी की हालत तब बिगड़ जाती है जब रोगी को सांस लेने में दिक्कत आती है। क्योंकि वह साँस के द्वारा जब वायु को अंदर ले जाता है, तो प्रायः साँस के अंदर लेने में कठिनाई होती है तथा साँस को बाहर छोड़ने में लम्बा समय लेते हैं। जब कोई अस्थमा रोग से पीड़ित व्यक्ति सांस लेता है तो हलकी हलकी सीटी बजने की आवाज़ सुनाई देती है।
अस्थमा के रोग को मिटाने के घरेलु उपाय
सामग्री
- आधा निम्बू
- तीन पके हुए लेमन ग्रास
- एक खीरा
जूस बनाने की विधि
- सबसे पहले तो निम्बू का रस निकाल ले और बाकी की बची हुई सामग्री को ब्लेंडर की मदद से मिक्स कर ले।
- जब जूस बन कर तैयार हो जाये तो इसे पी लीजिए।
अगर आप भी अस्थमा के मरीज है तो इस जूस को दिन में तीन बार खाने से पहले पिए। इस जूस का सेवन करने से आपको बहुत जल्दी लाभ होगा।
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