जैसा की हम सब जानते है की दिवाली के त्यौहार पर अगर पटाखों ना छुड़ाए तो दिवाली का त्योहार एक दम सुना सुना लगता है।लेकिन अगर यही पटाखें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो और पर्यावरण को दूषित करे। तो गौरतलब है की हमे एक बार इस बारे में सोचना चाहिए। दिवाली का त्यौहार जैसे नजदीक आता जा रहा है कई गलियों और कॉलोनियों में पटाखों की आवाज़े भी आना शुरू हो गई है।
बीते दिनों में सर्वोच्च न्यायालय ने दिवाली के पटाखों को लकर एक फैसला जारी किया है। जिसमे पटाखों का प्रयोग करने की अनुमति केवल रात 8 बजे से 10 बजे तक के बीच की दे दी गई है। इसी माहौल के चलते दिल्ली और दूसरे महानगरों में प्रदूषण का वातावरण बना रहेगा। इस धूम धड़ाम वाले माहौल से बचने के लिए बुजुर्ग एवं बीमार लोग अपने स्वास्थ्य की अच्छे से देखभाल करे।
पटाखों से होने वाला खतरा –
दिवाली को रौशनी का त्यौहार कहा जाता है। दिवाली का त्यौहार अपने साथ बहुत सी खुशिया लेकर आता है। लेकिन यह अपने साथ दमा, सीओपीडी या एलर्जिक रहाइनिटिस से पीड़ित मरीजों की समस्या इन दिनों बढ़ जाती है। पटाखों में मौजूद छोटे कण सेहत पर बुरा असर डालते हैं, जिसका असर फेफड़ों पर पड़ता है।
पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा या दमा का अटैक आ सकता है। पटाखों के धुएं से हार्टअटैक और स्ट्रोक का खतरा भी पैदा हो सकता है। जब पटाखों से निकलने वाला धुंआ सांस के साथ शरीर में जाता है तो खून के प्रवाह में रुकावट आने लगती है। पटाखों में हानिकर रसायन होते हैं, जिनके कारण बच्चों के शरीर में टॉक्सिन्स का स्तर बढ़ जाता है और उनके विकास में रुकावट पैदा करता है।
पटाखों के धुंऐ से गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को भी ऐसे समय में घर पर ही रहना चाहिए। पटाखे को रंग-बिरंगा बनाने के लिए इनमें रेडियोएक्टिव और जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है. ये पदार्थ जहां एक ओर हवा को प्रदूषित करते हैं, वहीं दूसरी ओर इनसे कैंसर की आशंका भी रहती है। प्रदूषित हवा से बचें, क्योंकि यह तनाव और एलर्जी का कारण बन सकती है। एलर्जी से बचने के लिए अपने मुंह को रूमाल या कपड़े से ढक लें।
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