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अष्टमी और नवमी – कन्या पूजन का महत्व

नवरात्री पर्व में कन्या पूजन अष्टमी और नवमी को मनाया जाता है।अष्टमी और नवमी के दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों को प्रतिनिधित्व करने के लिए।  नौ कन्याओ की पूजा की जाती है।नवरात्री के दिनों में कन्याए बल एवं शक्ति का प्रतीत है। अष्टमी और नवमी की प्रथा के अनुसार इस दिन कन्याओ के पैर माँ दुर्गा के पद चिन्ह के रूप में धोए जाते है।

कन्या पूजन

हिन्दू धर्म में कन्या पूजा को बहुत महत्तव दिया जाता है।  कहा जाता है कि नवरात्री के पर्व में अष्टमी और नवमी का बहुत महत्व होता है।  चुकी इस दिन कन्या पूजा के दौरान, उस कन्या के अंदर की स्त्री शक्ति को पहचानने का अवसर होता है। कन्या पूजन के दौरान अगर कोई भक्त ज्ञान प्राप्त करना चाहता है तो उसे भ्रामण लड़की की पूजा करनी चाहिए। अगर कोई भक्त शक्ति चाहता है तो उसे क्षत्रिय कन्या की पूजा करनी चाहिए। गौरतलब है की अगर कोई धन और समृद्धि चाहता है अपने जीवन में।

तो उसे वैश्य परिवार से सम्बंधित कन्या की पूजा करनी चाहिए। कन्या पूजन भी एक दम विधि विधान से करना चाहिए। कन्याओ को अच्छे एवं साफ़ सुथरे आसान पे बैठाना चाहिए।  और भोजन करा कर उन्हें बेट स्वरूप उपहार देने चाहिए। अष्टमी और नवमी वाले दिन कन्या माता का रूप होती है।  पूरी निष्ठा से पूजा करने के बाद आप मन से जो मनोकामना मांगते है।  वो पूर्ण हो जाती है।

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