यह मेला देश भर में बहुत प्रचलित है। मानो की जैसे प्रेमी जोड़ो के मिलान का मौसम आ गया है। भगोरिया उत्सव प्रेमी जोड़ो के लिए प्रसिद्ध माना जाता है। यह उत्सव इस बार 14 मार्च से शुरू होगा। इस मेले में दिल खोल कर मौज मस्ती करते है लोग। एक भी मौका खाली नहीं जाने देते है। इस मेले में बहुत सजावट होती है।
चाहे फिर बात हो मेले में झूलों की या फिर चाट पताशी की। इस मेले के बारे में ख़ास बात यह है कि इस मेले में आने वाले युवक युवतियों को पान देते है।और ऐसा माना जाता है कि यदि वह पान खा लेती है तो उस युवती ने उस युवक को पसंद कर लिया है। मजदूरी के लिए बाहर गए ग्रामीणों की आमद के साथ ही अब अंचल में भी ढोल-मांदल की गूंज के साथ उत्साह की कुर्राटी सुनाई देने लगी है।
इसी साथ यहाँ के मजदूरी करके आये ग्रामीण अब होली के त्यौहार तक वही रहेंगे।अगर हम राजनैतिक बात पर गौर करे तो कहा जा रहा है कि इस बार भगोरिया हाट राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार का भी जरिया बनेगे। कहा जा रहा है कि बाहर से आये हुए ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पूरा पूरा ज़ोर लगाएगे।
सूत्रों के मुताबिक पता लगा है कि गुरूवार को पारा, समोई, सारंगी, हरिनगर और चेनपुरा में भगोरिया में हाट लग रहे है। यह ऐसी जगह है जहा पर ग्रामीणों की कुर्राटी और ढोल ताल मांदल की आवाज़ या थाम सुनाई देगी। आज से यानी कि 14 मार्च से भगोरिया उत्सव की शुरुआत हो रही है। सूत्रों के मुताबिक पता लगा है कि इसकी हलचल पीछे एक सप्ताह से देखी जा रही है।
भगोरिया एक उत्सव है जो की होली का ही एक रूप है…
बुधवार को छतरी चौक से लगाकर मुख्य बाजार तक के हिस्से में बड़ी संख्या में ग्रामीण खरीदारी करते नजर आए।अगर हम बात करते है आदिवासी संस्कृति की तो इसमें भगोरिया पर्व को लेकर अलग अलग मत है। ऐसी मान्यता है कि भगोरिया एक उत्सव है जो की होली का ही एक रूप है। यह त्यौहार प्रदेश के मालवा निमाड़ अंचल के आदिवासी इलाको में धूमधाम से मनाया जाता है। होली के 1 सप्ताह पहले लगने वाले हाट-बाजार यहां मेले का रूप ले लेते हैं।इस मेले के बारे में दिलचस्प बात यह है कि यह बहुत सी जोडिया बनाता है।
पौराणिक समय से इस मेले की यह मान्यता है कि इस मौके पर युवक युवतिया एक दूसरे को पान खिला देते है या एक दूसरे के गाल पर गुलाल लगा देते है तो ऐसा मान लिया जाता है कि दोनों में प्रेम हो गया है। सबसे मजाकिया बात यह है इस उत्सव के बारे मे कि दोनों मौका पाकर भाग जाते है और विवाह के बंधन में बांध जाते है। इस उत्सव को भगोरिया इसलिए कहा जाता है क्योकि इसमें प्रेमी जोड़े भाग कर शादी करते है।
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