सरसो का तेल हमेशा से ही सबकी पसंद रहा है। सरसो के तेल को विविधता और बाकी तेलों की तुलना में हरा पाना आसान नहीं है। चाहे सरसो के तेल को खाना पकाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हो या फिर ड्रेसिंग के लिए। इसी के साथ में इसका उपयोग आप बॉडी मसाज के रूप में भी कर सकते हो।
इसकी सबसे ज्यादा महतवपूर्ण बात यह है की पिछले कुछ समय में इसने वैश्विक पहचान प्राप्त की है। हाल में जाया कि गई ट्रांस्परेन्सी मार्किट रिसर्च की हालिया रिपोर्ट इसकी उत्तरी अमेरिका, लातिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप, पश्चिमी यूरोप, बस जापान को छोड़ एशिया प्रशांत और इसी के साथ में मध्य पूर्व एवं अफ्रीका में स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है।
कहा जा रहा है कि भारत, थाईलैंड और चीन में बहुत ही जबरदस्त मांग है। इन जगहों पर खाना बनाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। हालांकि उत्तरी अमेरिका के बाजारों में भी विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों में जरूरी तेल की प्राथमिकता के तौर पर इसकी खपत में बढ़ोतरी होने की संभावना है।सरसो के तेल के लिए पुरी आयल मिल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विवेक पुरी ने आईएनएस से ऐसा कहा है कि स्वस्थ्य खाना पकाने के माध्यम के रूप में सरसों तेल की स्वीकार्यता में तेजी आना एसएमई दिग्गजों के पारंपरिक रूप से प्रभाव वाल क्षेत्रों में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन के बारे में भी बताएगा।
सरसो के तेल की भारत में खाद्य तेलों के आयतो में कमी लाने की क्षमता है। जिस तरह से मलेशिया के लिए पॉम आयल है, इटली के लिए ओलिव आयल है, और अमेरिका के लिए सोया आयल है उसी तरह से सरसो का तेल भी भारत के लिए मह्त्वपूर्ण हो सकता है।
सरसों का तेल उपयोग में करने के फायदे:
सरसो के तेल में काफी मात्रा में ओमेगा- 3 और ओमेगा 6 वसायुक्त अम्ल के अलावा मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीसैचुरेटेड वसायुक्त अम्ल होता है। कहा जाता है कि यह वसा अच्छे होते है क्योकि यह इस्केमिक दिल के रोगो के खतरे को आधा कर देते है।
सरसो के तेल का स्वाद थोड़ा तीखा होता है जिसकी वजह से यह बंगाली डिशेस जैसे कि छेर झोल, झालमुरी और मुरी घोंटा का स्वाद लाजवाब करने के लिए बहुत काम आता है।
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