भगवान् शिव का प्रिय माह की शुरुआत17 जुलाई 2019 से हो चुकी है| सावन का महीना मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का प्रिय माना जाता है| इस बार सावन में चार सोमवार आएंगे| वही ३० जुलाई मंगलवार को सावन की शिवरात्रि मनाई जाएगी| कहा जाता है की फाल्गुन में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप मे मनाया जाता है| माना जाता है की इसी दिन भगवान् शिव और माँ पार्वती का विवाह हुआ था| मान्यताओं के अनुसार माना जाता है की इस शिवरात्रि के मोके पर भगवान् शिव अपने भक्तो की आराधना से बहुत जल्दी प्रसन्न होते है
सावन का महीना जिसे श्रावण मास का महीना कहा जाता है हिन्दू धर्म में ख़ास महत्व रखता है. श्रावण मास मे पड़ने वाले चार सोमवार और सावन शिवरात्रि दोनों ही शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण है. माना जाता है की सावन के सोमवार के व्रत और शिवरात्रि की पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है व भोलेनाथ की यह शिवरात्रि कई माइनो में विशेष मानी गयी है|
हर महीने की कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मास शिवरात्रि होती है, सावन और फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि खास होती हैं.
सावन शिवरात्रि का महत्व:
प्रति वर्ष 12 शिवरात्रि मनाई जाती है जिसमे से दो शिवरात्रि ख़ास होती है जो की महाशिवरात्रि और सावन मास की शिवरात्रि है शिवरात्रि व्रत को सभी मुख्य व्रतों में से एक माना जाता है। कहा जाता है की यह मनुष्य के सभी पापो को धो देती है, ऐसे मई सावन की शिवरात्रि का बड़ा ही महत्व है| यह शिवरात्रि पाप का नाश कर इसमें व्रत रखने वालो कुंवारे लोगो को मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वही सुख समृद्धि सहित अपना जीवन वयतीत करते है|
सावन शिवरात्रि की पूजा विधि:
शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि की रात में विधिवत तरह से पूजा को करने से सभी देखो का नाश होता है और जीवन सभी सांसारिक सुखो के परिपूर्ण होता है व् उनका आंनद लेता है| सावन व् शिवरात्रि के दिन भगवन शिव को बेल पत्र अर्पित करने से सुख शांति मिलती है व् धन की आवृति होती है|
ऐसा माना जाता है की सावन के शिवरात्रि के दिन कोई भी कुँवारी कन्या अगर यह व्रत रखती है तो उसे मनचाहा वर व् जीवन साथी मिलता हैi
सावन मास में लोग कावड़ लेकर जाते है और जल ले कर शिवरात्रि के दिन शिव जी पर उसका अभिषेक करते है|
पूजा विधि:
इस दिन सुबह प्रातः उठ कर स्नान कर मन को पवित्र कर ले.
– घर या मंदिर मे भगवन शिव सहित माँ पार्वती और नंदी की पूजा करे और पंचामृत जल से उनका अभिषेक करे व् उन्हें अर्पित करे
इसके बाद भगवन शिव व् शिवलिंग पर उनकी मनपसंद व् प्रिये वस्तु जैसे धतूरा, बेलपत्र, घी, कच्चे चावल, दूध, शहद सहित सारी सामग्रियों को एक एक करके शिव मात्रा ॐ नमः शिवः के जाप के साथ चढ़ाते जाये|
- शिवलिंग को धुप- दीप दिखाकर ही जल चढ़ाना चाहिए, व् भगवन की पूजा दिल और श्रद्धाभाव से करे, इससे आप जो भी उन्हें अर्पित करेंगे उससे आपकी पूजा सफल मानी जाएगी|
- सावन की शिवरात्रि के दिन काले रंग के कपडे पहन के भगवन शिव की पूजा ना करे तथा खट्ठी चीज़ो का सेवन ना करे|
भगवान शिव को भोग में क्या दें
- हम सभी जानते हैं कि शिव को भोले भी कहा जाता है. इसकी वजह है भी मानी जाती है कि वे अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और जो भी भक्त चढ़ाते हैं प्रसन्नता से ग्रहण करते हैं. जैसे की:
- माना जाता है की भगवान शिव से ऐश्वर्ये प्राप्त करने के लिए मूंग का भोग लगाना चाहिए.
- मनचाहा जीवन साथी पाने के लिए भगवान् शिव को चने की दाल का भोग लगाना चाहिए.
- शिव को गेंहूं से बनी चीजें अर्पित करने से आप उन्हें जल्दी प्रसन्न कर सकते हैं, ऐसी मान्यता है.
- साथ ही माना जाता है की भगवान् शिव को तील चढाने से सभी पापो का नाश हो जाता है.
सावन शिवरात्रि:
माना जाता है की भगवान् शिव के सर पर स्थित चन्द्रमा अमृत का द्योतक है, गले में लिपटा सर्प काल का प्रतीत है | इस सर्प अर्थात काल को वश मे करने से ही शिव मृत्युंजय कहलाये है, उनका वाहन नंदी धर्म का प्रतिक है, हाथ मे डमरू निनाद का सूचक है, उनके हाथो में त्रिशूल तीन प्रकार के कष्टों दैहिक, देविक, और भौतिक के विनाश का सूचक है|
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