हिन्दू धर्म में भगवान गणेश का बहुत महत्व है। गणेश सभी देवताओ में प्रथम पूजे जाते है। गणेश जी की महिमा बहुत अपरम पार है। पृथ्वी के पालक साक्षात भगवान शिव ने गणेश जी की पूजा करी है। भगवान गणेश जी की आकृति जितनी रोचक है उतनी ही रौचक उनकी कहानी है।
भगवान गणेश जी की प्रतिमा देख के शायद आपके मन में कभी ये ख्याल आया होगा की आखिर इनकी प्रतिमा ऐसी क्यों ? क्यों गणेश को सभी देवो से पहले पूजा जाता है? इनको पूजे बिना कोई भी काम कभी सफल क्यों नहीं होता? हो सकता है शायद आपने गणेश जी से जुडी बहुत सारी रोचक कहानी सुनी हो या आप इन सब से अवगत नहीं है। अगर आप गणेश भक्त है धर्म में आस्था रखते है तो हम आपको बताने जा रहे है भगवान गणेश से जुडी हुई रोचक कहानी।
ऐसे जन्मे गणेश जी
शिव पुराण के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म माँ पार्वती के मेल से हुआ। ऐसा माना जाता है की माँ पार्वती की सखिया जया और विजया ने गणेश जी ने निर्माण की बात उनके मन में डाली।
पुत्र प्राप्ति के लिए मां पार्वती ने पुण्यक नामक उपवास किया था। इसी उपवास के चलते माता पार्वती को श्री गणेश पुत्र रूप में प्राप्त हुए।
गणेश जी का जन्म
श्री गणेश का जन्म भाद्रप्रद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। लाल और हरे रंग लिए गणेश शक्ति और समृद्धि का प्रतिक माने जाते है।
शनि ने देखा और कट गया सिर
भगवान गणेश के जन्म के बाद जब सभी देवता उनको आशीर्वाद देने पहुंचे तब शनि देव भी वहा अपने सिर निचे झुकाये खड़े थे। माँ पार्वती ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा की मेरे ऊपर देखने पर उनका कुछ अहित हो सकता है। लेकिन माँ पार्वती के कहने पर शनि देव ने सिर उठाया और कुछ समय पश्चात गणेश जी का सिर कट गया।
ऐसे लगा था हाथी का सिर
शनि के द्वारा देखने पर गणेश जी का सिर कट गया। उसी समय भगवान विष्णु उत्तर की दिशा में गुरुड़ पर सवार हो कर गए। पुष्पभद्रा नदी के तट पर हथिनी के साथ सो रहे एक गजबालक का सिर काटकर ले आए। उस सिर को मस्तक विहित गणेश जी के धड़ पर रखा और गणेश को पूर्ण जीवित करा । यह घटना सूर्य देव के पिता कश्यप के श्राप के कारण हुई।
श्राप के कारण कटा गणेश का सिर
एक बार भगवान शिव ने क्रोध में सूर्यदेव पर त्रिशूल से वार कर दिया था जिससे सूर्य देव के पिता कश्यप भगवान शिव को श्राप देते हुए कहा जिस प्रकार तुम्हारे त्रिशूल से मेरे पुत्र का शरीर नष्ट हुआ है उसकी प्रकार तुम्हारे पुत्र का शरीर धड़ से अलग होगा।
तुलसी को दिया श्राप
एक बार तुलसी देवी गंगा तट से गुजर रही थी। तभी गणेश जो को तट के किनारे तपस्या करते देखा और उनकी और आकर्षित हो गयी। विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन गणेश जी ने प्रस्ताव ठुकरा दिया जिसके कारण तुलसी देवी ने गणेश जी को जल्दी शादी करने का श्राप दिया और गणेश जी ने तुसली को पौधा बनने का श्राप दिया।
भगवान शिव के द्वारा गणेश पूजन
महाशिव पुराण के अनुसार भगवान शिव असुरो का नाश करने जा रहे थे उसी समय एक आकाशवाणी हुई जिसमे कहा जब तक आप गणेश जी की पूजा नहीं कर लेते तब तक आप युद्ध नहीं जीत सकते। शिव ने भद्रकाली को बुलाकर गजानन का पूजन किया। और युद्ध में विजय की प्राप्ति हुई।
ऐसी कहलाए एकदंत
एक बार भगवान परशुराम शिव से मिलने कैलाश पर्वत आये लेकिन उस समय शिव तपस्या में मग्न थे। गणेश जी ने उनको शिव से मिलने से रोका तभी गुस्से में परशुराम ने भगवान शिव का दिया हुआ फरसा प्रहार किया। गणेश जी अपने पिता के शस्त्र का वार खाली नहीं देना चाहते थे तो उन्होंने वो वार अपने दांत पर सहा। इस कारन वो एक दंत कहलाये।
गणेश ने लिखी थी महाभारत
महाभारत गणेश जी ने लिखी है, जी हाँ वेदव्यास बोलते गए और श्री गणेश लिखते गए।
गणेश है मूलाधार चक्र
गणेश पुराण के अनुसार मानव शरीर में उपस्थित मूलाधार चक्र को गणेश के रूप में जाना जाता है।
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