अगर किसी को कोई बीमारी होती है तो वो ढेरो दवाइयां गटक जाते है। लेकिन कई बार बिना सलाह के दवा लेना भी सही नहीं होता है। हमे कुछ ऐसे नियम अपनाने चाहिए जो की बिना दवा के भी असरदार रहे। दवाएं थोड़ा-बहुत खेल कर सकती हैं मगर जीवन का सृजन नहीं कर सकतीं।
आज यह बात हर कोई जानता है कि शरीर की हर कोशिका कुदरती तौर पर इस तरह से बनाई गई है कि वह आपको सेहतमंद रखे। अगर उसका काम कुदरती तौर पर सेहत को बनाए रखना है, तो वह आपके खिलाफ काम क्यों करेगी? हमें संक्रामक और स्थायी रोगों के बीच का अंतर समझ लेना चाहिए। संक्रमण किसी बाहरी जीवाणु का आपके शरीर पर हमला है। यह एक युद्ध जैसी स्थिति होती है। उन्हें मारने के लिए आपको रासायनिक लड़ाई लड़नी पड़ती है। मगर धरती पर 70 फीसदी से अधिक बीमारियां स्थायी हैं या कहें आपके भीतर से आती हैं। इसका मतलब है कि आपका अपना शरीर, आपका अपना सिस्टम उस बिमारी को पैदा करता है।
जिस सिस्टम में अपने अस्तित्व को बनाए रखने और जीवित रहने की तीव्र इच्छा हो, वह अपने ही खिलाफ कोई रोग क्यों पैदा करेगा? इसका मतलब है कि कहीं न कहीं कुछ मूल तत्व बिगड़ गए हैं। अगर आप अपने अंतरतम के संपर्क में रहें, जो सृष्टि का स्रोत और इस शरीर का निर्माता है, तो आपको सेहत के बारे में कोई बात करने या उसकी इच्छा करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर आप इस सिस्टम को एक खास तरीके से रखते हैं, तो सेहत कुदरती तौर पर पैदा होती है।
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