Ayurvedic Nuskhe

गठिया, बवासीर, मिर्गी दमा, दंत रोग और साइटिका जैसी बीमारी को करे जड़ से ख़त्म- कायफल

आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले है की कैसे किसी पौधे की छाल बीमारियों से निजात करा सकती है।  इस पौधे की छाल का नाम है कायफल।  आयुर्वेदिक ओषधियो के लिए कायफल बहुत ही उपयोगी होता है। पेड़ की छाल को भी कायफल कहते है और यह आयुर्वेदिक ओषधि के रूप में भी प्रयोग में ली जाती है। कायफल के सेवन से गठिया, कमर दर्द, जोड़ो का दर्द और साइटिका जैसी बीमारियों से निजात पाया जा सकता है।

कायफल तेल बनाने की सामग्री

  • कायफल – 250 ग्राम
  • सरसो या तिल का तेल – 250 ग्राम
  • दालचीनी – 25 ग्राम
  • कपूर – 5 टिकिया

कायफल एक पेड़ की छाल है जो की दिखने में गहरे लाल रंग की खुरदरी होती है।  यह लगबघ दो इंच के टुकड़ो में मिलती है। कायफल आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बेचने वाली दुकानों पर उपलब्ध मिलती है। इसको ला कर बारीक पीस ले।  आप जितना इसको बारीक पिसोगे यह उतना ही  अधिक फायदेमंद होती है।

कायफल के तेल बनाने की विधि

सबसे पहले तो आप एक कड़ाई में तेल को गरम करे। जब तेल गाम हो जाये तो उसमे थोड़ा थोड़ा करके कायफल का चूर्ण उसमे डालते रह रहे। गैस को सिम पर रखे यानी की आग थोड़ी धीमी रखे। फिर उसमे दालचीनी का पाउडर डाले।जब सारा चूर्ण ख़तम हो जाये तो गैस बंद कर दे। उसके बाद एक कपड़े से तेल को छान ले। जब तेल ठंडा हो जाये तो उसे कपडे से निचोड़ ले।

उसके बाद उस तेल को निवाया करके उसमे कपूर की पांच टिकिया मिला दे।  जब तेल में कपूर अच्छे से मिक्स हो जाये तो इस तेल को बोतल में भर ले। कुछ दिनों में तेल का लाल रंग नीचे बैठ जायेगा उसके बाद उस तेल को किसी और बोतल में भर ले।  जहां पर भी दर्द हो इसे हल्का गरम करके धीरे धीरे मालिश करें। मालिश करते समय हाथ का दबाव कम रखें। उसके बाद सेक जरूर करे।

कायफल किन रोगो में है फायदेमंद-

आग से जल जाने पर , मिर्गी, मधुमेह रोग, पागलपन, एड़ियों का फटना, दंत रोग, सर्दी लगना, कान का दर्द, बुखार, पायरिया, कान का बहना, दमा, श्वास रोग, बवासीर, जुखाम।

अब जोड़ो का दर्द होगा छूमंतर

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